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जीवनी/आत्मकथा >> सत्य के प्रयोग

सत्य के प्रयोग

महात्मा गाँधी

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :188
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6042
आईएसबीएन :9788170287285

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प्रस्तुत है महात्मा गाँधी की आत्मकथा ....

Satya Ke Prayog

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

दो शब्द

गांधी की ‘आत्मकथा’ जो अंग्रेजी में प्रसिद्ध हुई है; उसके असली स्वरूप में तथा उसमें जो ‘दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह का इतिहास’ है, इन दोनों के कुल पुष्ठ करीब एक हजार होते हैं। इन दोनों पुस्तकों के कथावस्तु को पहली बार संक्षिप्त करके इकट्ठा करके प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। क्योंकि गांधीजी की शैली ही संक्षिप्त में कहने की है इसलिए यह कार्य सरल नहीं है। एक बात और भी है कि वे सदा जितना उदेश्य पूर्ण महत्व का हो उतना ही कहते हैं। अतः उन्होंने जो भी कुछ लिखा है, उसमें काट-छाट करने से पहले दो बार सोचना ही पड़ेगा।

आधुनिक पाठक गांधीजी की ‘आत्मकथा’ ‘संक्षिप्त मे माँगता है। उसकी इस माँग को मद्देनज़र रखते हुए तथा स्कूल-कालेजों के युवा-विद्यार्थियों के लिये यह संक्षिप्त आवृत्तियाँ तैयार की गयी है। असल ग्रन्थ का स्थान तो यह संक्षिप्त आवृत्ति कभी नहीं ले सकेगी; लेकिन ऐसी आशा रखना अवश्य अपेक्षित है कि यह संक्षेप पाठक में जिज्ञासा अवश्य उत्पन्न करेगा और बाद में अपनी अनुकूलता से जब फुरसत मिलेगी तब असली ग्रन्थ का अध्ययन करेगा।

इस संक्षेप में गाँधीजी के जीवन में घटी सभी घटनाओं का समावेश हो ऐसा प्रयास किया गया है,
इसमें भी घटनाओ का कि जिसका आध्यात्मिक महत्व है इस काऱण उन्होंने पुस्तकें लिखी हैं। गाँधीजी के अपने ही शब्दों को चुस्ती से पकड़ रखे हैं। ऐसी भी कई जगह हैं कि जहां संक्षिप्त करते समय शब्दों को बदलने की जरूरत मालूम होती है वहां बदल भी दिये हैं; लेकिन यहाँ भी एक बात की सावधानी रखी गयी है कि उन्होंने जो अर्थ दर्शाये है उसके अर्थ में कोई परिवर्तन ना हो। संक्षिप्त करते समय महादेवभाई देसाई द्वारा तैयार किया गया ग्रन्थ माई अर्ली लाईफ’ विशेष उपयोगी हुआ था।

 

 

 

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